ईरान-इज़राइल युद्ध 2025: परमाणु ठिकानों पर हमला, जवाबी मिसाइलें, वैश्विक संकट गहराया


🔎 मध्य-पूर्व में युद्ध का नया अध्याय, वैश्विक बाजारों और कूटनीति पर भारी असर

शमशुद दुहा |नेशनल व्यू न्यूज़ नेटवर्क

इज़राइल का हमला: “परमाणु खतरे को रोकने” की रणनीति
23 जून 2025 की सुबह, इज़राइली वायुसेना ने ईरान की राजधानी तेहरान और रणनीतिक फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट पर भीषण हवाई हमला किया।
इस हमले में कई सैन्य और परमाणु ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा। इज़राइल ने दावा किया कि ये हमले ईरान की बढ़ती परमाणु क्षमता और क्षेत्रीय आक्रामकता के खिलाफ “आत्मरक्षा” में किए गए।

ईरान का जवाब: मिसाइलों और ड्रोन से हमला
इज़राइल के हमले के कुछ ही घंटों बाद, ईरान ने तेल अवीव, हैफ़ा और गाज़ा सीमा पर सैकड़ों मिसाइलें और ड्रोन्स से हमला किया।
इज़राइली मीडिया के अनुसार, दक्षिणी इलाकों में कम से कम 50 नागरिक घायल हुए हैं। सोरोका अस्पताल पर भी हमला हुआ।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में हलचल: कच्चा तेल महंगा, निवेशक चिंतित
कच्चे तेल की कीमतों में 12% तक उछाल आया है।

हॉर्मुज़ जलसंधि के बंद होने की आशंका से दुनिया भर की तेल आपूर्ति पर खतरा मंडरा रहा है।

एशियाई और यूरोपीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई है।

वैश्विक प्रतिक्रियाएं: युद्धविराम की अपील
संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने और तत्काल युद्धविराम लागू करने की अपील की है।

भारत, फ्रांस, चीन, और अमेरिका ने अपने नागरिकों को सतर्क रहने और क्षेत्र से निकलने की सलाह दी है।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि “ईरान में शासन परिवर्तन” की नीति पर चर्चा हो सकती है।

संघर्ष की पृष्ठभूमि
ईरान और इज़राइल के बीच वर्षों से चले आ रहे परमाणु विवाद और क्षेत्रीय वर्चस्व की लड़ाई अब खुली जंग में तब्दील हो चुकी है।
पहले यह संघर्ष छाया युद्ध (proxy war) तक सीमित था, लेकिन अब यह सीधे सैन्य कार्रवाई में बदल गया है।

आगे क्या?
इज़राइल कह रहा है कि उसके सैन्य लक्ष्य पूरे होने तक हमला जारी रहेगा।

ईरान ने हॉर्मुज़ जलसंधि को बंद करने और क्षेत्रीय अमेरिकी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

दुनिया भर के विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह युद्ध जारी रहा तो यह तीसरे विश्व युद्ध जैसी स्थिति पैदा कर सकता है।

युद्ध या वार्ता?
मध्य-पूर्व इस समय सबसे गंभीर संकट से गुजर रहा है।
अगर जल्द ही कूटनीतिक पहल नहीं की गई, तो यह टकराव न केवल इस्लामी दुनिया बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।

National View

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