नई दिल्ली: केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र को डिजिटल रूप में सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। अब किसानों के लिए भी आधार कार्ड की तर्ज पर एक विशिष्ट पहचान पत्र, जिसे “Farmer ID” कहा जा रहा है, बनाया जाएगा। यह पहचान पत्र न केवल किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में सहायक होगा, बल्कि कृषि क्षेत्र के व्यापक डिजिटलीकरण में भी अहम भूमिका निभाएगा।

Farmer ID का उद्देश्य
किसानों के लिए यह पहचान पत्र सभी कृषि योजनाओं को एकीकृत करने में मदद करेगा। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, फसल बीमा योजना, और अन्य कृषि संबंधित लाभ अब Farmer ID के माध्यम से सीधे किसानों तक पहुंचाए जाएंगे। इसके साथ ही, इस ID में भूमि की जानकारी, बुआई की गई फसलों का विवरण, पशुधन और अन्य कृषि से संबंधित आंकड़े दर्ज किए जाएंगे।
बार-बार KYC की जरूरत नहीं
Farmer ID के बनने से किसानों को बार-बार KYC कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एक बार ID बनने के बाद, सभी योजनाओं का लाभ बिना किसी परेशानी के लिया जा सकेगा।
‘डिजिटल कृषि मिशन’ का हिस्सा
केंद्र सरकार ने डिजिटल कृषि मिशन के तहत इस पहल की शुरुआत की है। इस मिशन पर 2817 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। मिशन के तीन प्रमुख घटक हैं:
- किसानों की प्रमाणित जानकारी का संग्रह।
- फसल और भूमि का डिजिटल डेटा।
- सरकारी योजनाओं का व्यवस्थित लाभ।
पायलट प्रोजेक्ट और लक्ष्य
अभी तक 19 राज्यों ने कृषि मंत्रालय के साथ समझौता किया है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं। बिहार के छह जिलों में Farmer ID बनाने का काम शुरू हो चुका है।
2027 तक सभी किसानों की ID बनाने का लक्ष्य
केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि 2026-27 तक 11 करोड़ किसानों की डिजिटल पहचान तैयार हो।
2024-25: 6 करोड़ पहचान पत्र।
2025-26: 3 करोड़ पहचान पत्र।
2026-27: 2 करोड़ पहचान पत्र।
अब तक 30 लाख से अधिक Farmer ID बनाए जा चुके हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में देश के 400 जिलों और 2025-26 में बाकी जिलों को डिजिटल फसल सर्वेक्षण के तहत कवर किया जाएगा।
किसानों को क्या मिलेगा लाभ?
Farmer ID के माध्यम से:
योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा।
पारदर्शिता बढ़ेगी।
समय और संसाधनों की बचत होगी।
डिजिटल कृषि आंकड़े बेहतर नीति निर्माण में सहायक होंगे।
कृषि क्षेत्र में एक नया युग

केंद्र सरकार की यह पहल किसानों के जीवन में बड़ा बदलाव लाने के साथ-साथ देश की कृषि व्यवस्था को भी आधुनिक बनाने में मददगार साबित होगी। आने वाले वर्षों में यह ID किसानों की पहचान के साथ-साथ उनकी तरक्की का आधार भी बनेगी।