भारत-अमेरिका के बीच नई प्रौद्योगिकी सहयोग पर अहम चर्चा, सत्ता परिवर्तन से पहले कूटनीति में तेजी

भारत-अमेरिका के बीच नई प्रौद्योगिकी सहयोग पर अहम चर्चा, सत्ता परिवर्तन से पहले कूटनीति में तेजी

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य से अगले हफ्ते एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जाएगी। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जैक सुलीवान भारत दौरे पर आ रहे हैं, जहां वे अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात करेंगे। इस बैठक का उद्देश्य न केवल दोनों देशों के बीच तकनीकी सहयोग को गहरा करना है, बल्कि आने वाले प्रशासनिक बदलावों से पहले लंबित मुद्दों पर सहमति बनाना भी है।

सत्ता परिवर्तन से पहले रणनीतिक वार्ता

20 जनवरी 2025 को अमेरिका में नए प्रशासन का शपथ ग्रहण होगा। इससे पहले आयोजित इस बैठक को दोनों देशों के संबंधों के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। भारत और अमेरिका, जो पहले ही वैश्विक स्तर पर रक्षा, व्यापार, और तकनीकी साझेदारी के मजबूत स्तंभ बन चुके हैं, इस बैठक में भविष्य की रणनीति पर विचार करेंगे।

अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और रक्षा सहयोग पर फोकस

सूत्रों के अनुसार, चर्चा का मुख्य केंद्र “इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी” (iCET) होगा। यह पहल दोनों देशों के बीच अत्याधुनिक तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), क्वांटम कंप्यूटिंग, और सेमीकंडक्टर निर्माण में सहयोग को मजबूत करने के लिए बनाई गई है। इसके अलावा, भारत बैठक में रक्षा क्षेत्र में तकनीकी ट्रांसफर का मुद्दा भी उठाएगा।

डोभाल और जयशंकर से अलग-अलग बैठकें

अजीत डोभाल से वार्ता: यह बैठक सुरक्षा और तकनीकी मामलों पर केंद्रित होगी। दोनों नेता इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता, साइबर सुरक्षा, और उभरती तकनीकों के इस्तेमाल पर चर्चा करेंगे।

एस. जयशंकर से बातचीत: विदेश मंत्री के साथ सुलीवान की बैठक में भू-राजनीतिक मामलों और व्यापार संबंधों पर जोर होगा। जयशंकर और सुलीवान हाल ही में वाशिंगटन में भी मिले थे, जिससे यह वार्ता और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।

सार्वजनिक संबोधन में रखेंगे विचार

जैक सुलीवान भारत दौरे के दौरान एक सार्वजनिक कार्यक्रम में भी भाग लेंगे। वे भारत-अमेरिका संबंधों के महत्व और वैश्विक राजनीति में इन संबंधों की भूमिका पर अपने विचार रखेंगे।

विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बैठक अमेरिकी सत्ता परिवर्तन के बावजूद द्विपक्षीय संबंधों में निरंतरता बनाए रखने के लिए आवश्यक है। भारत-अमेरिका के मजबूत संबंध न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

आगे का रास्ता

यह बैठक दोनों देशों के बीच एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकती है। विशेष रूप से तकनीकी और रक्षा क्षेत्र में, जहां भारत अपनी क्षमता को नई ऊंचाई तक ले जाने की कोशिश कर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि नई अमेरिकी सरकार इन समझौतों को कैसे आगे बढ़ाती है।

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