महान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 810वें सालाना उर्स का 9 रज्जब बड़े कुल की रस्म के साथ समापन हो गया। 15 दिन से जारी उर्स की रौनक जायरीन के लौटने के बाद कम हो गई। जायरीनो ने उर्स के मौके पर जुमे की नमाज अदा कर देश अमन चैन खुशहाली और आपसी भाईचारे के लिए दुआ की। बड़े कुल की रस्म दरगाह में खुद्दाम ख्वाजा ने अदा कराई।

इस मौके पर दरगाह परिसर व आस पास का क्षेत्र जायरीन-ए- ख्वाजा से भरी रही । आशिकान-ए- ख्वाजा ने गुलाब जल केवड़े से दरगाह परिसर की पानी,गुलाबजल, केवड़ा से धुलाई की। खुद को भी पानी से भिगोया। लंगर और तबर्रुकात पर नियाज दिलाई और लोगों को तकसीम किया। उर्स में शरीक होने आए अकीदतमंदों ने कायड़ विश्राम स्थली में भी जुमे की नमाज अदा की। दोपहर तक दरगाह परिसर नमाजियों से भर चुका था। इसके बाद दरगाह बाजार में नमाजियों की सफें लगना शुरू हो गई थीं।

जुमे की अजान तक सफें धानमंडी तक पहुंच गई थी। इसके बाद भी नमाज के लिए लोगों के आने का सिलसिला जारी था। अकीदतमंदों ने जुमे की नमाज अदा की। इस दौरान बड़े पीर साहब की पहाड़ी से तोप के गोले दागे गए। इधर नमाज पूरी होने के बाद जायरीन के लौटने का सिलसिला तेज हो गया।
