यूसीसी में मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं और परंपराओं का ध्यान रख किया जाए लागू ।

अजमेर मुस्लिम एकता मंच के प्रतिनिधियों ने बैठक कर भेजे सुझाव

अजमेर। देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के प्रस्ताव के मद्देनजर रविवार को अजमेर में मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों की बैठक मुस्लिम एकता मंच के बैनर तले हुई इस बैठक में केंद्र सरकार से आग्रह किया गया कि यूसीसी में मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं और परंपराओं का ख्याल रखा जाए।

बैठक में प्रतिनिधियों ने कहा कि हमारे समाज में ऐसी अनेक परंपराएं हैं, जो मुस्लिम धर्म से संबंध रखती हैं। यही वजह है कि इन परंपराओं से आम मुसलमान की धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई है। प्रतिनिधियों ने कहा कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो इस पर कोई एतराज नहीं है, लेकिन इस कानून के प्रावधानों में मुस्लिम समुदाय की भावनाओं और परंपराओं का ख्याल रखा जाए। प्रतिनिधियों ने कहा कि विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने जैसे मामले मुसलमानों के व्यक्तिगत जीवन को नियंत्रित करते हैं। बैठक में कुछ उदाहरण भी प्रस्तुत किए गए ।
बैठक में मुस्लिम प्रतिनिधियों ने कहां की
.धार्मिक विविधता की मान्यता: भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है जो अपने नागरिकों की विविध धार्मिक मान्यताओं और प्रथाओं का सम्मान करता है और उन्हें समायोजित करता है। मुस्लिम पर्सनल लॉ का अस्तित्व देश की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को स्वीकार करता है, जिससे मुसलमानों को व्यक्तिगत मामलों में अपने धार्मिक कानून का पालन करने की अनुमति मिलती है।
. सांस्कृतिक पहचान का संरक्षण: मुस्लिम पर्सनल लॉ भारत में मुस्लिम समुदाय की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को सरंक्षित और पोषित करने में मदद करता है। यह मुसलमानों को उनकी धार्मिक परंपरा और रीति रिवाजों के अनुसार अपना जीवन जीने में सक्षम बनाता है।
.विवाह और तलाक: मुस्लिम पर्सनल लॉ जीवन के आवश्यक पहलुओं जैसे विवाह और तलाक को नियंत्रित करता है। यह मुस्लिम विवाह निकाह पति-पत्नी के अधिकारों और दायित्वों तलाक के लिए प्रक्रियाओं और रखरखाव के अधिकारों सहित अन्य बातों के संचालन के लिए नियम प्रदान करता है।
. वंशानुक्रम और उत्तराधिकार: मुस्लिम पर्सनल लॉ मुसलमानों के बीच विरासत और उत्तराधिकार के लिए विस्तृत नियम प्रदान करता है जो अन्य समुदायों पर लागू होने वाले भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम से अलग हैं। नियम धार्मिक ग्रंथों पर आधारित हैं और मुस्लिम समुदाय के बीच सख्ती से पालन किया जाता है।
.दत्तक ग्रहण और संरक्षकता: कानून गोद लेने और संरक्षकता से संबंधित मुद्दों से भी निपटता है जिनके पास भारत में अन्य व्यक्तिगत कानूनों की तुलना में अद्वितीय पैरामीटर हैं।
. विवाद समाधान: भारत में न्यायालय मुसलमानों के बीच व्यक्तिगत मामलों से संबंधित विवादों को हल करने के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ का उल्लेख करते हैं। इसलिए यह ऐसे मामलों में न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ के रूप में कार्य करता है।
बैठक में कहा गया कि मुस्लिम समुदाय की पहचान धार्मिक प्रथाओं और सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने की है। देश में बहुलवादी प्रकृति और भारतीय संविधान की अपने सभी नागरिकों के अधिकार देने की मंशा कायम रहनी चाहिए। इस बैठक में नवाब हिदायत उल्ला, पीर नफीस मियां चिश्ती, हाजी अबदुल जर्रार चिश्ती,काज़ी मुन्नवर अली, मौलाना शमीम उल हसन, एहतेशाम चिश्ती,सिकंदर चीता ,आरिफ हुसैन, डा अब्दुल माजिद चिश्ती,अहसान मिर्ज़ा ,अब्दुल मुगनी चिश्ती, मोहम्मद इकबाल, पार्षद मोहम्मद शाकिर, अब्दुल नईम खान, हाजी रईस कुरैशी, एडवोकेट हाजी फय्याज उल्ला, अब्दुल सलाम, सैय्यद गुलज़ार चिश्ती, सलमान खान, आसिफ अली, सैय्यद अनवर चिश्ती, , एसए काजमी, इंसाफ अली , अरशद इंसाफ, मोहम्मद अय्यूब डायर, नसीरुद्दीन, शमशुद दुहा, मुबारक खान, मोहम्मद अकरम, रुस्तम घोसी, कय्यूम खान, आरिफ खान, फारूक अहमद, हाजी वसीम चिश्ती, असलम खंडेला, शफकत उल्ला सुल्तानी, हाशाम अली, उमौलाना इकबाल वारसी, जावेद अहमद, उ पस्थित रहे।

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